बहुत नायाब होते हैं जिन्हें हम अपना कहते हैं, चलो तुमको इज़ाजत है कि तुम अनमोल हो जाओ।
इजहार-ए-मोहब्बत पे अजब हाल है उनका, आँखें तो रज़ामंद हैं लब सोच रहे हैं।
दिल में ना हो जुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती।
दिल में आहट सी हुई रूह में दस्तक गूँजी, किस की खुशबू ये मुझे मेरे सिरहाने आई।
किसी से प्यार करो और तजुर्बा कर लो, ये रोग ऐसा है जिसमें दवा नहीं लगती।
इन्कार जैसी लज्जत इक़रार में कहाँ, बढ़ता रहा इश्क ग़ालिब उसकी नहीं-नहीं से।