कि वह एक्सरसाइज करने या खेलने के दौरान किस प्रकार से कार्य करता है
इसके अंतर्गत स्पोर्टस एवं ह्यूमन एनाटामी, काइनेसियोलाजी, एक्सरसाइज फिजियोलाजी, स्पोर्ट्स बायोमैकेनिक्स, स्पोर्ट्स साइकोलाजी, मोटर कंट्रोल, स्पोर्ट्स ट्रेनिंग, फिजिकल एजुकेशन, न्यूट्रिशन, योग आदि
विषयों की पढ़ाई होती है। स्टूडेंट्स को स्पोर्ट्स साइंस के सिद्धांत एवं मैकेनिक्स के बारे में विस्तार से बताया जाता है
उन्हें स्पोर्ट्स परफार्मेंस, इंजरी के बाद रिकवरी, फिटनेस एवं मानव शरीर से संबंधित अन्य जानकारियां दी जाती हैं।
स्पोर्ट्स साइंस ग्रेजुएट्स के सामने विकल्पों की कमी नहीं होती है। वे अपनी रुचि के अनुसार, शैक्षणिक क्षेत्र अथवा कारपोरेट में काम कर सकते हैं
स्पोर्ट्स के अलावा स्वास्थ्य एवं सेल्स के क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। फिजियोथेरेपी में स्पेशलाइजेशन करके किसी खेल संगठन या अस्पताल के साथ
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